मनोरंजन
सुबह-सुबह
आँख भी अभी खुली नहीं थी पूरी
पर खड़ा था वह
पानी, गिलास और कुप्पी लिए,
आँख भी अभी खुली नहीं थी पूरी
रेल के किनारे.
आस पास उसके
उछल रहे थे कुछ बंदर.
अचानक
बजाने लगा वह
कुप्पी से गिलास,
पर ध्यान किसी का भी
उस बच्चे पर गया नहीं,
हाँ, कुछ लोग
खिलाने लगे रोटी
बंदरों को.
आँख भी अभी खुली नहीं थी पूरी
पर खड़ा था वह
पानी, गिलास और कुप्पी लिए,
आँख भी अभी खुली नहीं थी पूरी
रेल के किनारे.
आस पास उसके
उछल रहे थे कुछ बंदर.
अचानक
बजाने लगा वह
कुप्पी से गिलास,
पर ध्यान किसी का भी
उस बच्चे पर गया नहीं,
हाँ, कुछ लोग
खिलाने लगे रोटी
बंदरों को.
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