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सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जुराब

बचपन में जब जूता कुछ बड़ा होता था जुराब भर लेते थे उसमें. यादें भी कुछ ऐसी ही होती हैं जूतों में भर लो तो सफ़र आसान कर देती हैं और जब जूता खोलो, घर भर में भर जाती हैं.

नाबदान

कुछ लोग जीते जीते इतने पुराने हो जाते हैं महल के बजाए बस खंडहर रह जाते हैं. भटकती हैं, दीवारों पर सिर पटकती हैं आवाजें यहाँ गूंजने की गुंजाईश कम ही रहती हैं. बसेरा है उलटी लटकी चिमगादड़ों का यहाँ टपकती लार की नदियाँ बहती रहती हैं. नाबदान में कुछ उग आया है शायद अब यहाँ भी कुछ खुशबुएँ उठती रहती हैं.

फुटबॉल

कभी कभी लोग फुटबॉल बन जाते हैं, चलती गाडी से लुडक कर टोपीधारी खिलाड़ियों के पांवों तक पहुँच जाते हैं, उनकी लात खा कर ऊंचा उछलते है और फिर धम से गिर जाते हैं. कभी कभी लोग फुटबॉल बन जाते हैं.

कलमकार

सफ़ेद बर्फ से ठंडे कागज़ पर काले खून सी गर्म स्याही गिरी - एक और कलमकार मारा गया, गर्माहट कुछ और बढ़ी.

फिर हरी होंगी

सदाबहार वृक्षों का एक वन था उसके सीने में, चिड़ियाएँ चहकती रहती थीं, कुछ हिरण भी थे शायद पत्तियों में छुपे हुए. न जाने कब इतना घना हो गया था, कितना भी पानी बरसे वह सब सोख लेता था, बाढ़ में बहता नहीं था. _____ एक दिन हवा चली बहुत तेज़, टहनियाँ बज उठीं रगड़ उठी, भयावह दावानल ने बस लाल रणभूमि ही छोड़ी. उर्वर रणभूमि मगर स्नेह से सींची घास बिछाई कुछ पौधे लगाए. एक मेरा भी बीज था उनमें "पतले से पत्तों वाला एक पौधा उगेगा इससे." चिड़ियाएँ चिड़ियाएँ चहकती थीं तब भी हिरण कहीं न था मगर. _____ हर झाडी का रंग अब भूरा लगता है, लगभग काला, कोयले सा गुलाब लगता है, न जाने किसकी घास थी यह रेत के रेशों सी चुभती है, ये जले से बूटे हैं जो किसी ने धनिया बोया लगता है. पतले पत्तों वाला मेरा भी एक पौधा है, आग-सी लाल हैं उसकी पत्तियाँ. "मुरझाए हुओं को मत देखो इन लाल पत्तियाँ को देखो ये फिर हरी होंगी." ____ A retelling of flash fiction Do Not Count the Withered Ones by Caroline M. Yoachim

इशिकावा ताकुबोकू

उदास आदत है सुबह बिस्तर में ठहरना पर डांट मत मुझे, माँ. ___ सड़क के किनारे, एक कुत्ते ने अंगड़ाई ली मैंने भी ली जल कर.

My Literary Career - Roberto Bolano

अस्वीकृति सभी प्रकाशकों से सभी पाठकों से सभी विक्रेताओं से... पुल के नीचे, बारिश में, एक सुनहरा मौका खुदको परखने का : उत्तरी ध्रुव के किसी साँप जैसा, पर लिखता हुआ. बेवकूफों की दुनिया में कविता लिखता हुआ. घुटने पर बेटे को बिठाए लिखता हुआ. हजारों राक्षसों की गड़गड़ाहट लिए उतरती रात में लिखता हुआ. राक्षस जो मुझे ले जाएँगे नरक तक पर लिखता हुआ.

When I see them passing by - Daisy Zamora

उन्हें करीब से गुज़रते देख कभी कभी खुद से पूछती हूँ: क्या महसूस करती होंगी वे, जिन्होंने सही होने का फैसला लिया और बनाए रखा विवाह सारी मुसीबतों के बावजूद भले ही उनके पति कैसे भी निकले (विलासी लंपट कलहप्रिय बात बात में चीखने वाले हिंसक सिर पटकने वाले पागल अजीब निराले थोड़े असामान्य सनकी जुनूनी असहनीय बेवक़ूफ़ खतरनाक उबाऊ जंगली संवेदनाशून्य गंदे दंभी महत्वाकांक्षी दगाबाज़ धोखेबाज़ चालबाज़ गद्दार झूठे बेटियों पर बलात्कार बेटों पर अत्याचार करने वाले घर में बादशाह बाहर तानाशाह) पर वे डटी रहीं भगवान जाने क्या कुछ सहतीं. उन्हें करीब से गुज़रते देख वार्धक्य और गरिमा से परिपूर्ण अकेली छोड़ गईं संतानों के चले जाने के बाद एक ऐसे आदमी के साथ जिसे कभी प्यार किया था (शायद अब वह शांत हो गया है पीता नहीं कम बोलता है टीवी के सामने समय काटता चप्पल घसीटता जम्हाई लेता सोता खर्राटे लेता जल्दी जाग जाता बीमार निरापद लगभग बचकाना) खुद से पूछती हूँ : क्या कभी वे ऐसा सपना देखने की हिमाकत करती हैं जिसमें वे विधवा हों आज़ाद हों और लौट रही हों जीवन की ओर अपराधमुक्त?