संदेश

बरसात की एक रात

चित्र
छाता लिए बारिश में गई. पर तेज़ हवाएं. कोई ख़ास फ़ायदा न था, छाते का. तेज़ हवाएं थी. उलट गया छाता. कुछ तीलियाँ भी टूट गई, अब अगली बारिश में भी इसका कोई फ़ायदा न होगा. घर आते, सीढियां चढ़ते वक़्त, पाँव फिसला और खोपडी बचाने में हाथ भी टूट गया. हाय! ***All rights of the image reserved.

विदूषक

चित्र
दुनिया का रंगमंच और एक अकेला दर्शक. मैं. ऐसा नहीं चाहा था मैंने. बड़े अद्भुत कलाकार हैं, एक-दूसरे से अनभिज्ञ एक-पात्र का स्वांग रचते. नेपथ्य में- कुछ सुलग रहा है. चिल्लाना चाह रहा हूँ मैं, इतने वर्षों बाद. कोशिश भी की, पर सब हँस पड़े, खुद पर ध्यान गया तो काफ्का का ग्रेगोर* बन चुका था! *"One morning, as Gregor Samsa was waking up from anxious dreams, he discovered that in bed he had been changed into a monstrous verminous bug. "

आईनाघर

आईनों से भरे इस कमरे में खुशी तेज़ी से बढ़ती हैं, हँसता हूँ, तो सब साथ हँसते हैं, हमेशा कहते हैं - चिंता कैसी, हम हैं ना! पर, जब दुःख आता है, जाता ही नहीं! सब अपने में खोए से रहते हैं, घुटते हुए से. आईनों से भरे इस कमरे में कोई मुझ-सा दिखता ही नहीं!

सर्द लाश

चित्र
हलके घिसे जूते. साफ़ सफ़ेद जुराब, डेनिम जींस, तकिये पर रखा पाँव, करीबन परम शान्ति में, बर्फ में जमा शरीर. पहचान नहीं सकता मैं उसे पर एक महीने से यहाँ है, फ़ोन जो नहीं मेरे पास- न ही कुछ पैसे, अगले खाने की चिंता छूटे तो पुलिस को बताऊँ शायद. नहीं, फिर भी नहीं बताऊंगा, यहाँ जो रहता हूँ, जाने किसके गोदाम में फिर न रह पाउँगा! पर जब गर्मियां...

साथ

घड़ी हँस रही है मुझ पर, मैं भी ऑंखें दिखा रहा हूँ उसे, जलती हुई. ---------------------------- हाँ, साथ-साथ हैं हम, तुम और मैं, एक बार फिर जाने कितनवी बार... तुम्हारा दिल मेरे गुर्दे से, तुम्हारा गुर्दा मेरे दिल से जुड़ गया है. हमारी रगों में थोड़ा सर्दी का मौसम अटक गया है. ये हालात हमारे बदलते ही नहीं, फिर भी, हाँ, साथ-साथ हैं हम.

मौत

मौत जब मैं चाहता हूँ, तुम "आती" ही नहीं हो, क्या दर्द से डरती हो? बस उस ही के बारे में सोचती रह जाती हो? बिल्कुल मेरी प्रेमिका जैसी हो!!

ॐ पूर्णाय नमः

तुम सदा खोजती रहती हो, पूर्णता. हर रिश्ते में, घर में, बाहर- धूप में. पर, पूर्णता एक क्षण से ज्यादा कहाँ रहती है? और तुम, फिर दौड़ पड़ती हो, उस ही की तलाश में. और मैं, अपूर्ण, तुम्हारे इंतज़ार में. ----------------------------------- मुझे क्या महसूस होता है यह तुम मुझे बताओगी!! जाओ, जारी रखो अपनी तलाश. मुझे रहने दो अपने साथ. मुझे नहीं रहना सब जगह, मुझे नहीं जानना सब कुछ, मुझे नहीं करना कुछ ख़ास. ----------------------------- मेरा यह क्षण, मेरा ख़ुद का यह क्षण, मेरे फ्रेम का बस मेरा है. तुम रखो अपने पास अपने ईश्वर. दिलाती रहो ख़ुद को विश्वास कोई और होने का. --------------------------------