तुम्हारे जाने के बाद

वैतरणी के उस किनारे पर
थक कर बैठने का
निर्णय कैसे लिया तुमने?

पिछली बार जब देखा था
हवा में उड़ रहे थे तुम
पैरों में पंख लगे थे,
सुनना है उतारना पड़ा था तुम्हें
तुम्हारी माँ को
माँ, जिसे प्यार था तुमसे
उम्मीदें थीं.

कप के निशान का भूत
आज भी चाय की टेबल पर
वहीँ बैठा है
जहाँ तुमने रख छोड़ा था,
आज भी भाप में उठती हैं
अदरक की तेज गंध,
बस नहीं है तो
तुम्हारी सुडकियों की आवाज़.

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