एक ख्वाब सा देखा है - 2

आँतों में,
जहाँ खाना पचता है,
कोई जन्मा था.
वहाँ से रगों में घुस गया,
दौड़ लगाने लगा
शरीर भर में.
जिद्द थी उसे
धूप देखने की,
त्वचा तक पहुंचना चाहता था.
लाल प्रकाश में घिरा
लड़ता रहता लगातार
श्वेत रक्त कोशिकाओं से,
फुरसत मिलती कभी
तो नोचने लगता रास्ता
पर कोई लहर खून की
जल्द बहा ले जाती उसे.

लड़ते लड़ते एक दिन
आँख तक आ गया वह,
भयानक डांट के बीच
बह निकला चुपचाप
गुलाबी कर दी दुनिया सारी
बस कुछ क्षण ही.



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