घर

मेज़ पर चाय के प्याले का निशान अभी तक बैठा हुआ था
कि एक हल्का सा धसका उठा,
रसोई में छौंक लगा था शायद.
फिर जानी पहचानी एक आवाज़ उठी -
तेल में उतरती पूड़ियों की.

घर आया था आज.

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