चाँद

अपने जबड़ों में दबाए
सागर तले कहीं
मगर बैठा था,
ज़ोर कुछ ज्यादा था
जड़ों से खून निकल आया.

अब की बार
चाँद लाल था.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शायद यह सब

जुराब

राज़