काग-डरावा

(मूल: DIE VOGELSCHEUCHEN, Gunter Grass)

नहीं जानता मैं कि
ज़मीन खरीदकर
जंग लगे तारों में उसे बांधकर
रेत में कुछ झाड़ियाँ उगाकर
उसे बगीचा कहा जा सकता है क्या

नहीं जानता मैं कि
सारिकाएँ क्या सोचती हैं
फड़फड़ाकर उठती हैं, बिखरती हैं,
मेरी दोपहरी पर छीटें मार कर
यों उड़ती हैं जैसे डरती हों
जैसे काग-डरावा सचमुच डरावा हो
और पर्दों में बंदूकें हों
नालियों में बिल्लियाँ.

नहीं जानता मैं कि
पुरानी जैकेट और पतलूनों की जेबें
हमारे बारे में क्या जानती हैं
नहीं जानता टोपियों में क्या पल रहा है
किन विचारों के लिए कुछ सेआ जा रहा हैं
पंख उगा रहा है और डर कर न भागेगा
भले ही बिजूका भी खड़े हों हमें बचाने को.

बिजूके दूध पीते हैं क्या?
वंशबेल बढ़ गई है उनकी
रातभर टोपियाँ बदल बदल कर
अब तीन खड़े हैं मेरे बगीचे में
अदब से कोर्निस करते,
घूम कर, सूरज को आँख मारते,
और बतियाते; बतियाते बंदगोभी से.

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