उत्सव

आतिशबाज़ी ठेकेदारों ने
दुखद विस्फोटकों से
ख़ुशी बांटनी चाही.

पर ख़ुशी बड़ी ज़िद्दी निकली
उनकी बातों में न आई.

संस्कारों में बंधे उन बेचारों की
भला इसमें क्या थी गलती!

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