फाइन प्रिंट

ऊँची आवाज़ में कहा उसने
समय से बुढा रहे हो, तन के चला करो!
मेरी गलती नहीं इसमें, ऐसे ही होते है हम जैसे
पर उसे देख कुछ सीख लुँ शायद।

हमेशा ऊँची आवाज़ में बोलता है वह
अपनी ही बन्दूक के शोर से कान फट गए हैं उसके
मुझसे कहता है फाइन प्रिंट सदा पढ़ा करूँ
पर खुद बस पोस्टर पढ़ पाता है।

उसकी नज़रों में साफ़ नहीं रहता मैं
ये मार्जिन में लिखे शब्द तक
बस धब्बे लगेंगे उसे
मेरे हाथों से जो पन्ने पर उतर आएं हैं।

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