हैदराबाद

एक टुकड़ा इस शहर का
चलता है मेरे साथ,
बस उसे छोड़ने ही
फिर आया हूँ यहाँ।

टिप्पणियाँ

डॉ.बी.बालाजी ने कहा…
छोड़ने से
थोड़े ही कुछ छूटता है?
कुछ और
जुड़ जाएगा।
साथ में आ जाएगा
जहां भी जाएँगे
साथ, याद आएगा।
बहुत देर तक शहर साथ चलता है।

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