सोफ़िया - 14

वह कहती है
उसके कारण आज
मैं ऐसा हूँ,
कि उसे देने के बाद
मेरे पास कुछ बचा नहीं.
और सोचती है
उसे बचाए रखने को
एक दम-घोटूं अपराधबोध से
मैं फिर वैसा ही बन जाऊँगा.
पर जानता हूँ मैं
इतना भी कमज़ोर नहीं था मेरा काम.
कोई भी अपराधबोध अब
उसपर हावी नहीं होगा,
नहीं हो सकता.
उसने हरी आँखों वाले शैतान को दफनाया नहीं था
बस उसे नकार दिया था.
अब सारे शैतान उसे बस देख भर सकते हैं
बाँध नहीं सकते. 

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