रिसता

धीमे धीमे
बारिश का पानी
भर गया छत पर.
पता ही नहीं चला कब
सीलन भर आई
दीवार पर बसी
दरारों में.
हम सोचते रहे
सब ठीक होने लगेगा अब,
और अचानक
ढह गई छत.

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बड़े जीवन ऐसे ही रिसकर ढहते हैं..

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