सब कुछ वही तो नहीं है, पर है वहीँ

आखिर लग ही गई नौकरी
वह भी मेरी पसंद की.
बहुत अच्छा लगा कुछ दिन
नया नया सा.
पर फिर
सब वही का वही.

सुमी ने कहा
अब वक़्त आ गया है,
मुझे भी यही लगा था,
पर नहीं,
वह नहीं आया
नहीं ही आया.

कभी आएगा भी नहीं.
उसे पसंद नहीं
यह बे-सजावट घर,
न स्वागत, न सत्कार.

...

अब तक
हर दिन सोचता हूँ
क्यों नहीं कहा उसने
आज इच्छा नहीं,
और नहीं कहा तो
क्यों बाद में बताया
कि नहीं कहा
- आज अच्छा लगा मगर
उस दिन इच्छा न थी,
उस दिन दूर ही रहते -

दूर आना ही पड़ा.
और क्या करता मैं?
वह फिर ना कहती,
और फिर मैं अपराधी होता.

अटक गया हूँ वहीँ.
इतना कुछ बदल गया
अब और बदल नहीं सकता.
तब उसके साथ न था
और अब...

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मुझको न होने दिया होनी ने
न होता मैं तो खुदा होता!!!!

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