इंटरफ़ेस

कभी तुम जोड़ती थी मुझे
इस दुनिया से,
कब का बह चुका होता
दूर कहीं मैं.

आज
कोई और बता लेता है तुम्हें
कैसे बतियाओ मुझसे.

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एक पुरानी कहावत है- कवाब में हड्डी:)

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