दूसरा इडिपस

कुछ बच्चे
देर से सीखते हैं चलना,
कुछ देर से बोलना.
वह देर तक चिपका रहा
अपनी माँ से,
जैसे ईडिपस पैदा हुआ हो
बंदरों में भी.
सब उड़ाते उसकी खिल्ली
पर वह सह लेता चुपचाप.

फिर एक दिन
सिर्फ लाश रह गई
उसके पंजों के बीच.
कोई कहानी नहीं इसमें,
बस दबे पाँव चली आई थी
काली बदली.

वह फिर भी
हर जगह ले जाता
माँ को अपने साथ,
अब कोई हँसता नहीं था उसपर,
सब कुछ फुसफुसाते
दूर से निकल जाते -
देखते तक नहीं उसे.

जल्द ही
वह भी गायब हो गया,
समा गया
अपनी लाश में.

टिप्पणियाँ

पहला इडिपस भूल की इतिहास में खडाहै और यह...?
हरकीरत ' हीर' ने कहा…
वह फिर भी
हर जगह ले जाता
माँ को अपने साथ,
अब कोई हँसता नहीं था उसपर,
सब कुछ फुसफुसाते
दूर से निकल जाते -
देखते तक नहीं उसे.

अरविन्द जी के ब्लॉग से होती हुई चली आई इधर ...
अच्छा लिखते हैं आप .....
रचना आकर्षित करती है .....


ये वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें ...

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