धमाका

कूड़ा फेंकने आया था
जब धमाका हुआ,
अन्दर आकर देखा
जल्दी से आग बुझाई -
जितनी हो सकी,
सोचा - अगर मैं भीतर होता तब -
...

कुछ देर पहले ही
गायब हो चुका  था मैं -
वहाँ से.
आगे बढ़ते हुए
सुन पा रहा था मैं
अपने शिकार के विचार,
भविष्य की कोख से
मुझ तक पहुँचते -
कुछ ही पलों में
उनके हो जाएँगे.

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