शून्यपाल

याद है तुम्हें
कितना अच्छा लगता था
मेरे हाथ से खाना,
मुझसे टिक कर बैठना,
कहती थीं -
किसी और ने तुम्हें
इतना पोषण नहीं दिया,
पाला पोसा नहीं -
सदियों से.
याद तो होगा ही
कैसे भरने चाहे थे तुमने
कई खाली स्थान
मुझसे.

एक बार और
देखना चाहता हूँ तुम्हें,
जीना चाहता हूँ फिर से
वही पल,
अपने हाथों से
खिलाना चाहता हूँ
एक आखरी बार.
चम्मच,
तुम्हारे होंटों के बीच -
चम्मच,
धीमे से,
उतारना चाहता हूँ
तुम्हारे गले में,
देखना चाहता हूँ
नीला पड़ता तुम्हारा चेहरा,
देखना चाहता हूँ
बड़ी बड़ी आँखों को
और बड़ी होते,
देखना चाहता हूँ
तुम्हारे गालों पर लुडकती
कुछ बूंदें.

देखना चाहता हूँ
तुम्हें
एक आखरी बार.

टिप्पणियाँ

एक बार और
देखना चाहता हूँ तुम्हें,
जीना चाहता हूँ फिर से
वही पल,

शून्यपाल .... या नेहपाल :)

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