गुमशुदा

और वह चल पड़ा
तालाब की ओर,
सुनाई पड़ा उसे
साँप
केंचुली बदलता साँप,
अश्लील साँप.
तमतमाया
पर बिना रुके ही
आगे बढ़ गया वह.

तालाब में उतरा ही था
अभी बस घुटनों तक पानी था
जब दिखा उसे
मगर -
आराम फरमाता -
टूट पड़ा उसपर
अपने पंजे बढाए,
पर मगर के जबड़ों में फंस
दूसरे किनारे पहुँच गया.

उस मगर को ढूंढ़ने
पुलिसवाले निकले ही नहीं.

टिप्पणियाँ

साँप का अश्लील होना और मगरमच्छ का आरामतलब होना काफी व्यंजनापूर्ण है.

इन दोनों के रहते देश में जाने कौन-कौन सी चीज़ें गुमशुदा वाली लिस्ट में आती जा रही हैं...पर कोई पुलिसवाला उन्हें खोजने नहीं निकलता.
ZEAL ने कहा…
.

सुनाई पड़ा उसे
साँप
केंचुली बदलता साँप,
अश्लील साँप.
तमतमाया
पर बिना रुके ही
आगे बढ़ गया वह....

Beautiful expression . A wonderful imagination of vulgar snake and a lazy croc. I wish everyone can see the poison in majority of people in our society .

Alas ! we see and just move ahead by suppressing the anguish we experience on such happenings. We are in fact so helpless in front of the corrupt system .

.
उस मगर को ढूंढ़ने
पुलिसवाले निकले ही नहीं

मगर मगर को पकडे कौन, पुलिस तो मगर से मिली हुई है... मगरमच्छ छूट जाते हैं और मच्छ पकडे जाते हैं। यही तो इस तालाब का दस्तूर है :)
Luv ने कहा…
Thanks all. Its most wonderful to see how well we understand the croc.

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