गूँज - ३
सूरज की पूँछ पकड़
यहाँ ले ही आई तुम
घसीटते हुए उसे.
पिघलती बर्फ देख
मुस्कुराहट खेल गई तुम्हारे होंठों पर,
पर
नसों में अब भी
अटका हुआ है
बर्फवाला मौसम,
और दौड़ रहा है
दिल की ओर.
यहाँ ले ही आई तुम
घसीटते हुए उसे.
पिघलती बर्फ देख
मुस्कुराहट खेल गई तुम्हारे होंठों पर,
पर
नसों में अब भी
अटका हुआ है
बर्फवाला मौसम,
और दौड़ रहा है
दिल की ओर.
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