कोटिचरण

रीढ़ है
और है दिमाग.
काली चिकनी त्वचा
और काले शहद की खुराक.
हाथ
हाथ नहीं हैं
पर आवाज़ है
अलग-अलग तरह की आवाज़
मेल खाती उसकी तेज़ सोच से,
और उससे भी तेज़ है चाल-
कई सौ पैरों पर-
रीढ़ से निकलते
कई सौ पैरों पर
रेंगते शरीर की.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शायद यह सब

जुराब

राज़