सपने

मैंने
देखा था एक सपना
औरों की ही तरह
मेरेवाला भी टूट गया.

गीली घास पर लेटे,
हाथ फैलाए,
जब त्वचा पर ठंडी हवा महसूस हुई
और नथुनों में बहनी बंद हुई
मैंने तय किया
अब और नहीं देखूंगा.

टिप्पणियाँ

‘मैंने
देखा था एक सपना
औरों की ही तरह..’
तो अब पिता-पुत्र सपने देखने लगे :)
@cmpershad

आदरणीय चंद्रमौलेश्वर जी,
आप तो बुढापा -विशेषज्ञ हैं.अतः यौवन और वार्धक्य के सपनों का अंतर समझते होंगे.

आप कुमार लव के लेखन की मौलिकता पर संदेह न करें. उनके पिता को कष्ट हो सकता है. [ही...ही...ही...]

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