सुश्री. आत्मसंहार

प्रेम
प्रतिरोध
एक नाकाम प्रतिरोध.

आज भी तैर रहे हैं
तुम्हारी आँखों में
भूत
जो भगा नहीं सका मैं,
एक बोतल का भूत
जो टूटी नहीं,
एक रिश्ते का भूत
जो जुड़ा नहीं.
एक लाश
और एक आशंकित चेहरा.

मेरे हाथों में
चरमराकर बिखर गया
गुलाब की पंखुड़ी-सा.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शायद यह सब

जुराब

राज़