विरेचन

सो रहा था वह
प्लेटफार्म पर,
अचानक हिचकी उठी
आँख खोल सामने खिसका
उल्टी की
अपने ही पैरों पर,
दाढ़ी से भी
टपक रही थी कै.
पैरों के निशान छोड़ता
फिर वहीँ पीछे खिसक
सो गया.

टिप्पणियाँ

बहुत ज़बरद्स्त ...
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
Luv ने कहा…
@संजय dhanyawaad!!

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