रेल यातना

सूखे पेशाब की गंध से भरे डिब्बे से
खिड़की के उस ओर
एक पगलाई भीड़ दिखी,
मंदिर को घेरे खड़ी,
अपनी पैंटें और पैंटियाँ नीचे कर
अभिषेक करती.

पर
तुम्हारी लीला भी है निराली!
एक टुकड़ा गूमालिंग का
विसर्जित कर
ढहा दी मंदिर की दीवारें.
साँसों में भर गई धूल,
दुर्गन्ध ताज़े गोबर की,
और वीर्य की.
घुटने लगा दम,
और आगे खिसक लिया
हमारा डिब्बा.

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