बुलबुला

एक बुलबुले में कैद
ऊंचा उड़ता जा रहा हूँ मैं.
यहाँ
महसूस नहीं होता
कोई खिंचाव.
तैर रहा हूँ मैं.

पर फिर भी
देख पा रहा हूँ तुम्हें
वहां, नीचे,
मरता है कोई
जाने दो यार
बस आँख ही होती हैं
हाथ पाँव नहीं.

पर फिर भी
साफ़-साफ़ बताओ मुझे
क्या हैं मेरी ज़िम्मेदारी?
विस्तार से लिखो
मेरा किरदार.

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