नारियल के पेड़ से...

अपने जीवन के
पचास साल दिए तुम्हें,
पंद्रह की उम्र से
हर महीने
हर पेड़ से
चालीस नारियल उतारे,
फिर भी आज
गिरा दिया मुझे,
दस फीट नीचे.
कमर तो तोड़ी ही
कुछ हड्डियाँ भी साथ ही.

झोपड़ी में
तुम्हारे पत्तों से ढकी,
बिस्तर पर पड़ा
इंतज़ार में हूँ
अपनी लाचारी से
आज़ादी के,
अपने पिता की तरह
तीस साल पहले.

मेरे पास,
बचपन से ही,
कुछ नहीं था-
तुम्हारे सिवा.
पर मेरे बच्चे
कभी तुम्हारी ओर
रुख नहीं करेंगे.

***Off the topic, Coconut Development Board is looking for a new logo, if anyone has ideas....

टिप्पणियाँ

लाचारी का यह सिलसिला तो पीढी दरपीढी चलता ही रहेगा और नारियल के पत्ते ही छाया देते रहेंगे:(

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