mash up - 1

बड़े प्यार से
पाला पोसा,
बेकार के झगडों से
हमेशा बचाया,
मेरा जो कुछ था
सब दे दिया.

पर उस दिन
कुछ मर गया हमारे बीच.

और अब
दूर की नहीं जाती
धीमे धीमे गलती हुई
सड़ती हुई,
फूलों के नीचे
दुर्गन्ध से भरती,
रूई के पीछे
कीडों से खाई जाती.

उस दिन से,
बहुत शोर करने लगा, मैं.

चलना-फिरना
इस के बोझ तले
मुश्किल हो रहा है,

सोचता था
तुम्हारा ध्यान
उस ओर न जाएगा.

पर,
चार दिन बाद,
तुमने कहा - कुछ मर गया है हमारे बीच
पर फिर भी
बने रहना चाहती हूँ
उसकी रक्षक.

और मैं,
सोचता रह गया
क्यों उठाए फिर रहा था,
यह लाश!!


Cut up wasn't giving anything even approaching meaningful, so mash up :D

टिप्पणियाँ

यही तो होती है जिसे ममता कहते हैं:)

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