सुमी से

तुम्हारे बारे में!


शिकायत है तुम्हें
नहीं लिखता कभी
तुम्हारे बारे में.

मैं क्या करूँ
जानता ही नहीं
कैसे लिखूँ गरमाहट
जो मुझमें अंकुरित करती हो,
कैसे लिखूँ अशून्यता
जहाँ कोई अंतर आता नहीं.

और
नहीं जानता
कैसे लिखूँ कुछ ऐसा
जिसमें कोई अंश न हो
तुम्हारा.
जो न चाहता हो
तुम्हारी प्रतिक्रिया.

टिप्पणियाँ

"जो न चाहता हो
तुम्हारी प्रतिक्रिया"

सुमि को छोडि़ए.... हम दे रहे हैं अपनी प्रतिक्रिया:)
शिवा ने कहा…
अच्छी कविता।

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