मृतक प्रेम

बड़े प्यार से
पाला पोसा,
बेकार के झगडों से
हमेशा बचाया,
मेरा जो कुछ था
सब दे दिया.

और अब
दूर की नहीं जाती
धीमे धीमे गलती हुई
सड़ती हुई,
फूलों के नीचे
दुर्गन्ध से भरती,
रूई के पीछे
कीडों से खाई जाती
यह लाश.

चलना-फिरना
इस के बोझ तले
मुश्किल हो रहा है,
पर फिर भी
बने रहना चाहती हूँ
उसकी रक्षक.

टिप्पणियाँ

यह तो मातृ प्रेम है:) हर घटना-दुर्घटना से बचाती है!

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Fatal Familial Insomnia

शायद यह सब

तेरे कैनवस दे उत्ते