संदेश

बारिश के बाद

कल रात बारिश के बाद पत्तों से टपकता पानी कुछ कह रहा था, सुना था तुमने? कवियों की सी टोली में भटकेंगे हम दिन दिन बढ़ते कचरे में कविताओं के पुर्जे मिलाते, चलोगी तुम? सडकों पर बने गड्ढों में जमा पानी में कुछ नाव तैराएँगे, चलोगी ना?

Withdrawal

हर रात, दस बजते ही चाँद वाली बुढ़िया चांदनी का एक तार मेरी खिड़की से बाँध देती और उतर आती मेरे कमरे में, अपनी टोकरी उठाए. साथ बैठती, जाने कितनी देर समय थम जाता, और फिर अचानक एक छलांग लगा आगे निकल जाता जीवन की आपाधापी से कुछ पल धुआं हो जाते. फिर अमावस आ गई.

गाल पे आंसू - 2

अब तक याद है तुम्हारे आंसुओं का स्वाद. सिहरन भरी तुम्हारी सिसकियाँ जैसे अभी उठ रही हैं. बस बाहें फैलाऊंगा और तुम लिपट पडोगी, हलकी सी गुदगुदी और आंसुओं में से हसी उठ खड़ी होगी. सोफे पर, उसकी गोद में सिर रखे लेटा था. और उसका आंसूं लुड़क कर मेरे गाल पर रुक गया था. फिर भी, पूछती है कि ये उसके बारे में है, या किसी और के!

गाल पे आंसू

अब तक याद है तुम्हारे आंसुओं का स्वाद. सिहरन भरी तुम्हारी सिसकियाँ जैसे अभी उठ रही हैं, और कुछ भाव उठकर मेरे सिर में बस गए हैं, सब के नाम पहचाने से सब को कुछ कहना है, एक-एक कर बोलते हैं ढेर सारी छोटी-छोटी आवाजें एक ऊंचा शोर. एक अजनबी आवाज़.

बहार

मैदान के एकदम पास खिले हैं फूल. लोग चढ़े जाते हैं  उन पर. बच्चे मुट्ठी भर रेत उन पर डाल छनते देख खूब हँसते हैं. जल्द ही उसे यहाँ बुलाना होगा. बहार के साथ, ये भी चले जाएँगे.

उड़ान

एक दुआ भेजी थी नींद पर सवार. अब तक जगा हूँ.

भूख

नाश्ते पर मिले, उसने कहा - कुछ खास भूख नहीं मुझे तुम क्या लोगे? - मुझे भी नहीं. - कुछ देर बैठ इधर-उधर की बातें की, कुछ पुरानी यादें जीं. फिर वह उठ कर चली गई - घर के लिए कुछ खरीदारी करने, मैं भी अनमना-सा लौट आया.