कवि/ Lust for Life
एक छेद था  दीवार में  बॉस ने कहा था उसे  रात में गुंडे आ जाते हैं कभी  बन्दूक की नली इसमें डाल  चला देना.   एक दिन चलानी भी पड़ी  उस पर भी चली  लगी नहीं, पर चली ज़रूर  और तब से वह बनगया  एक बड़ा कवि  पेट्रोल पंप पर काम करता  अपने अनुभव बटोरता  एक सचमुच का कवि.   और मैं  वातानुकूलित कमरों में बैठा मैं  विदेशियों से मिलने  तीन दिन के छोटे से नोटिस पर  आधी दुनिया का चक्कर लगाता मैं  उस दिन और छोटा हो गया.