फिर से - ३

आँख खुली
तुम खड़ी थीं,
जाने-पहचाने कपड़ों में,
देख रही थीं
कैनवस पर उतरे-
समय में अटके-
मुझे.

धड़कन अचानक बढ गई
खूब कोशिश की मैंने
लगाम खींचने की-
कहीं तुम सुन न लो
दरवाज़े पर दस्तक.

धूप में नहा गया मैं
पर बर्फ पिघलने से पहले ही
आँख खुल गई.

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टिप्पणियाँ

nilesh mathur ने कहा…
बहुत सुन्दर, नव वर्ष की शुभकामना!

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