फिर से - 2
हमारी बातों को
शब्दों को
लग गई है दीमक
ख़ामोशी की.
उनमें बसा अर्थ
उनमें भरा प्रेम
धीरे-धीरे
रिस गया है,
अब केवल
खोखल बचे हैं.
पर अब भी
चाहता हूँ थामना
तुम्हारा हाथ,
छूना तुम्हारा मन,
कहना फिर से...
शब्दों को
लग गई है दीमक
ख़ामोशी की.
उनमें बसा अर्थ
उनमें भरा प्रेम
धीरे-धीरे
रिस गया है,
अब केवल
खोखल बचे हैं.
पर अब भी
चाहता हूँ थामना
तुम्हारा हाथ,
छूना तुम्हारा मन,
कहना फिर से...
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