चमचा जिबरील
अचानक, एक आवाज़ उभरने लगी. धीमी-धीमी. भरने लगी मेरे कानों को. धीरे-धीरे. छाने लगी मेरे अस्तित्व पर. मैं, उठ खडा हुआ, चलने लगा तेज़ और तेज़, भागना चाह रहा था उस आवाज़ से. जाने कितनी देर बाद चमचा जिबरील याद आया, तो रुक गया. कुछ देर लम्बी साँसे ली, सिर हल्का-हल्का सा लगने लगा. हाथ-पाँव अकड़ से गए. कुछ देर बाद- फिर वही रफ़्तार तेज़ और तेज़... ... ... ... **Image is from the cover of first edition of The Satanic Verses