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अप्रैल, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चमचा जिबरील

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अचानक, एक आवाज़ उभरने लगी. धीमी-धीमी. भरने लगी मेरे कानों को. धीरे-धीरे. छाने लगी मेरे अस्तित्व पर. मैं, उठ खडा हुआ, चलने लगा तेज़ और तेज़, भागना चाह रहा था उस आवाज़ से. जाने कितनी देर बाद चमचा जिबरील याद आया, तो रुक गया. कुछ देर लम्बी साँसे ली, सिर हल्का-हल्का सा लगने लगा. हाथ-पाँव अकड़ से गए. कुछ देर बाद- फिर वही रफ़्तार तेज़ और तेज़... ... ... ... **Image is from the cover of first edition of The Satanic Verses

गोडॉट

थक गया हूँ इंतज़ार करते करते, अब और नहीं रुका जाता यहाँ. गोडॉट अब नहीं आएगा. कविताओं की एक किताब, कुछ जोड़ी कपडे, टूथ ब्रश, जुराबें, सब तैयार हैं एक बैग में बंद. पर, जाऊं कहाँ? कोई जगह नहीं ऐसी जहाँ जा कर रुक पाऊं अब.

ठक! ठक! ठक!

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ठक! ठक! ठक! खो जाता बार-बार पीले और कुछ लाल गुलाबों के बीच, मेजों और कौओं के बीच, ऐसे लोगों के बीच जिनपर कभी नहीं बैठती कोई मक्खी, जहाँ गाय छलाँग लगाती हैं चाँद के पार. कर दिया उसे बंद. बैंगनी फूलों के बीच, फुंकारती खामोशी के बीच, लपेट कर कंबल. अब उसकी ठक-ठक पर ज़रा भी ध्यान नहीं जाता. और चटकने बंद हो गए हैं सब धागे.

siamese twins

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सब जगह, तुम दिखते हो मेरे आस-पास. बोलते रहते हो मेरे कानों में लगातार. भिंच जाती हैं जब भी मेरी आखें, तुम वर्णन करने लगते हो उस दृश्य का. तुम्हारी खोपडी खोल कर सेकना चाहता हूँ तुम्हारा दिमाग, तवे पर, छोटे-छोटे टुकडों में, परत दर परत. पर डर लगता है अपनी मौत का. मेरे सयुज सखा!

षड्यंत्र

एक थी परी उड़ रही थी बादलों के बीच नीचे देखने लगी कुछ बिन्दुओं को ज़मीन पर कहीं वे बिंदु खीचने लगे उसे अपनी ओर. कोशिश की उसने ऊँचा उठने की पर जब तक जाना कि खिंच रही है देर हो चुकी थी. उतर आना पड़ा उसे उन बिन्दुओं के बीच. देखा उसने हर ओर, हर बिंदु में अपना ही प्रतिबिम्ब दिखा. जो कभी पसंद न था खुद में, दबा हुआ था कहीं जाने क्यों दिखने लगा सतह पर. वे झूठ जिन पर विश्वास था, वे शान्तिपाठ जिन पर आस्था थी, वे आवाजें जो सिर में कहीं थीं, सब मिलकर यह षड्यंत्र रच रहे हैं उसके खिलाफ. वह धर्म जो जीना चाह रही थी, वह धर्म जो नियंत्रित कर रहा था, वह धर्म जो कान फाड़ रहा था, वही षड्यंत्र रच रहा है परी के खिलाफ.