काफ्का

सुबह
मेरी आँख खुलने से पहले
जा चुका था वह
जो मेरी दीवार पर रहता था.
शायद दिख नहीं रहा था मुझे
रोशनी ठीक नहीं थी शायद
पर अब भी वह वहाँ नहीं है.
गलत नाम दिया था उसे
कुछ और बन कर उड़ गया अब,
टिड्डा बना होगा
झुण्ड से मिलेगा
ले आएगा सबको
ढक लेगा सारे मैदान,
सारी दीवारें, सारी पपड़ियाँ,
सारे पानी के टैंक.
फुद्केगा - अकेला.

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