कल्पवृक्ष
हर डाल
कल्पना की एक उड़ान
विश्व का एक प्रतिबिम्ब
थोडा सा अलग।
सब संभावनाओं का एक खेल
कहीं प्लैंक थोडा बड़ा
कहीं जी थोडा छोटा।
सभी संभावनाओं से
प्रजवलित एक वृक्ष।
सूर्य सा उज्वल
शीत सा शांत।
वह जा खड़ी हुई
उस महावृक्ष के नीचे
कुछ कहा उससे
एक डाल झुकी
और वह चल पड़ी।
कुछ ऐसे भी किस्से हैं
लौट आते हैं जिनमें वे
जो गए थे नई दुनिया में,
आखिर बदली सम्भावनाओं का
असर गहरा पड़ता है
दूर तक फैलता है
भयावह लगता है।
पर वह नहीं लौटी
एक काली मकड़ी आ पहुंची
उस ही डाल पर रेंगती
सहस्रों लम्बे तंतुओं वाली
सोख डाली उसने संभावनाएं
यों ही भरता था उसका पेट
काला हो चला वृक्ष।
मकड़ी का विकराल रूप देख
सब भागे, मैं भागा,
भागा।
भागा
खाली थे सारे गलियारे
खाली थीं हमारी संजोई बोतलें
सूख गई थीं प्रकाश की बूँदें
अन्दर कैद ही, इंतज़ार में
ब्रश व उँगलियों के।
कल्पना की एक उड़ान
विश्व का एक प्रतिबिम्ब
थोडा सा अलग।
सब संभावनाओं का एक खेल
कहीं प्लैंक थोडा बड़ा
कहीं जी थोडा छोटा।
सभी संभावनाओं से
प्रजवलित एक वृक्ष।
सूर्य सा उज्वल
शीत सा शांत।
वह जा खड़ी हुई
उस महावृक्ष के नीचे
कुछ कहा उससे
एक डाल झुकी
और वह चल पड़ी।
कुछ ऐसे भी किस्से हैं
लौट आते हैं जिनमें वे
जो गए थे नई दुनिया में,
आखिर बदली सम्भावनाओं का
असर गहरा पड़ता है
दूर तक फैलता है
भयावह लगता है।
पर वह नहीं लौटी
एक काली मकड़ी आ पहुंची
उस ही डाल पर रेंगती
सहस्रों लम्बे तंतुओं वाली
सोख डाली उसने संभावनाएं
यों ही भरता था उसका पेट
काला हो चला वृक्ष।
मकड़ी का विकराल रूप देख
सब भागे, मैं भागा,
भागा।
भागा
खाली थे सारे गलियारे
खाली थीं हमारी संजोई बोतलें
सूख गई थीं प्रकाश की बूँदें
अन्दर कैद ही, इंतज़ार में
ब्रश व उँगलियों के।
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