जुराब

बचपन में जब जूता कुछ बड़ा होता था
जुराब भर लेते थे उसमें.
यादें भी कुछ ऐसी ही होती हैं
जूतों में भर लो तो सफ़र आसान कर देती हैं
और जब जूता खोलो, घर भर में भर जाती हैं.

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