उदासीन

गहरा नीला
अँधेरे सा
आकाश.
जलता हुआ
एक तारा
उस पर धरा.
धीमे धीमे
सिकुड़ता आकाश
पीछे से झांकता कोई
अँधेरे में छुपा.
कानों में भर गई
रात की ठंडी हवा
कुछ गाती-सी.
और हम
छिपे रहे
उसके ध्यान से.

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आत्ममुग्ध है, प्रकृति गीत यह।

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