समाधि

सहमा सहमा सा एक ख्वाब
मेरे पास आया.
बोला, अभी कुछ दिन और
जी लेने दो मुझे.
वरना हर कुछ इक दिन में
मेरी समाधि पर रोओगे.
मैंने उसकी एक न सुनी
अब ख्वाब में आता है
रोज़ उसका भूत.

टिप्पणियाँ

हर ऐसा ख्वाब अभिव्यक्ति माँगता है, मुक्ति माँगता है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तेरे कैनवस दे उत्ते

Fatal Familial Insomnia

विजय ऐसी छानिये...