राज़

सब के पास होता
एक ऐसा राज़
जिसे बाँटकर वे
बना लेते हैं ख़ास
किसी भी मित्र को.

देखो तो ज़रा सुमी
तुम्हें कोई दीखता है क्या
ऐसा राज़
मेरे आस-पास -
वादा रहा
किसी और को नहीं बताऊंगा
मैं अपना वह राज़.

टिप्पणियाँ

राज़ को राज़ ही रहने दो आवाज़ न दो॥ बहुत दिनों बाद दिखे बरखुर्दार:)
Moon ने कहा…
awwww....its such a wonderful poem..... :)
tum kisi aur ko apna raaz batao naa batao...par tum mere liye bahut khaas ho.... aur hamesha rahoge...love u :)
Luv ने कहा…
@moon But really I dint think u wud sob :)
Luv ने कहा…
@cmp uncle: formal education is a necessary evil, I guess :P
ZEAL ने कहा…
It's a beautiful creation . In my humble opinion one should not share his/her secrets with anyone except parents and God.

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