डूब
हर रोज़
चार या पांच बार
याद आती है वह,
और जब नींद नहीं आती
किसी रात को
तो दस-बारह बार
आ जाती है याद.
हर याद
दो-तीन मिनट की.
पहले नापता था
हर याद को ,
गिनता था
कितनी देर तक
बर्दाश्त कर सकता हूँ
उसका चहरा,
उसके वाला रंग,
उसके दो कंगन,
और उसकी आँखें.
पर चुरा ली है
इन पागलों में से किसी ने
मेरी घड़ी .
जाने लम्बी हो गई हैं
या छोटी उसकी यादें.
जब बर्दाश्त नहीं होता
और दूर भेज देता हूँ उसे,
फिर दीवारों से
उड़ जाता है
उसके वाला रंग,
फिर मुझे देखती हैं
नर्स की आँखें-
बह जाता है
जमे पानी सा
नीला रंग
उन आँखों का-
फिर हो जाती हैं
वे काली.
सफ़ेद दीवारें,
काली आँखें-
कुछ उस जैसा नहीं.
चार या पांच बार
याद आती है वह,
और जब नींद नहीं आती
किसी रात को
तो दस-बारह बार
आ जाती है याद.
हर याद
दो-तीन मिनट की.
पहले नापता था
हर याद को ,
गिनता था
कितनी देर तक
बर्दाश्त कर सकता हूँ
उसका चहरा,
उसके वाला रंग,
उसके दो कंगन,
और उसकी आँखें.
पर चुरा ली है
इन पागलों में से किसी ने
मेरी घड़ी .
जाने लम्बी हो गई हैं
या छोटी उसकी यादें.
जब बर्दाश्त नहीं होता
और दूर भेज देता हूँ उसे,
फिर दीवारों से
उड़ जाता है
उसके वाला रंग,
फिर मुझे देखती हैं
नर्स की आँखें-
बह जाता है
जमे पानी सा
नीला रंग
उन आँखों का-
फिर हो जाती हैं
वे काली.
सफ़ेद दीवारें,
काली आँखें-
कुछ उस जैसा नहीं.
टिप्पणियाँ
काली आँखें-
यादें.... सिर्फ़ यादें...