आप्लावन टैंक

जादुई इस कमरे में
मेरी बनाई दुनिया है-
एक तस्वीर
उस दुनिया की
जो बाहर खड़ी है.

कभी खिड़की से झांकती है
तो कभी किवाड़ खोल अन्दर ही घुस आती है,
थोडा बदलना पड़ता है फिर
अपनी तस्वीर को
थोडा रंगना पड़ता है दुनिया को.

टिप्पणियाँ

कविता तो ठीक है, पर ''आप्लावन'' कुछ ज्यादा नहीं हो गया क्या!

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