नाटा उत्सव

उदास था वह दिन
पर हंस रहे थे हम सब,
दिन भर.

गर्म चावलों से उठती गंध से
खिड़की पर आती धूप के स्वाद से
आसमान पर पड़ी दरार पर
अटके पड़े ध्रुव पर
खुद पर
हंस रहे थे हम
दिन भर.

उदास था वह दिन.

टिप्पणियाँ

Jandunia ने कहा…
शानदार पोस्ट

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मनोरंजन

Fatal Familial Insomnia

वह जिसने कुछ खोया / कचरेवाला