परिचय
यही शहर था
पर अनजाना-सा,
अजनबियों से भरा.
हाँ, यही शहर था
पर गलियाँ कोई और थीं
रास्ते चले जा रहे थे
किन्हीं अँधेरे कोनों में.
दूर खिसकती गईं पंक्तियाँ,
धँस गए कहीं शब्द,
बस रह गईं -
दीवारों पर सिर पटकती,
किवाड़ खटखटाती,
खिड़कियाँ टटोलती,
गूँजती आवाजें.
पर अनजाना-सा,
अजनबियों से भरा.
हाँ, यही शहर था
पर गलियाँ कोई और थीं
रास्ते चले जा रहे थे
किन्हीं अँधेरे कोनों में.
दूर खिसकती गईं पंक्तियाँ,
धँस गए कहीं शब्द,
बस रह गईं -
दीवारों पर सिर पटकती,
किवाड़ खटखटाती,
खिड़कियाँ टटोलती,
गूँजती आवाजें.
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