प्रेम

रेंगते हुए
घुस जाने दो मुझे
चूल्हे में,
तपने दो मुझे.
फिर से न खोजना चाहूँ
वह गुफा
दूर करने के लिए
यह ठण्ड.

टिप्पणियाँ

तपने ही से तो कंचन बनता है :)
Haresh ने कहा…
A little different and odd, but nice post :)

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