दखमा
इस बार जब मरूँगा मैं
मेरी लाश जल न पाएगी ढंग से,
बारिश जो हो रही होगी
बहुत तेज़.
बारिश के बाद
अधजली लाश को
चाब चाब के खाएँगे
कुछ अघोरी.
तुम उनसे नाराज़ न होना.
जी भरके खाने देना.
वैसे भी आज-कल
चील-कौएं इतने कम है
दखमा में पड़े-पड़े
लाश सड़ती ही रहती है.
टिप्पणियाँ
vaise idea is gr8.
Tower of Silenceaur aaj-kal jo pareshani ho rahi hain lashen thikane lagane men, uske liye dekhen:
essentials of ecology