आईनाघर
आईनों से भरे इस कमरे में खुशी तेज़ी से बढ़ती हैं, हँसता हूँ, तो सब साथ हँसते हैं, हमेशा कहते हैं - चिंता कैसी, हम हैं ना! पर, जब दुःख आता है, जाता ही नहीं! सब अपने में खोए से रहते हैं, घुटते हुए से. आईनों से भरे इस कमरे में कोई मुझ-सा दिखता ही नहीं!