सर्द लाश
हलके घिसे जूते.
साफ़ सफ़ेद जुराब,
डेनिम जींस,
तकिये पर रखा पाँव,
करीबन परम शान्ति में,
बर्फ में जमा शरीर.
पहचान नहीं सकता मैं उसे
पर एक महीने से यहाँ है,
फ़ोन जो नहीं मेरे पास-
न ही कुछ पैसे,
अगले खाने की चिंता छूटे
तो पुलिस को बताऊँ शायद.
नहीं,
फिर भी नहीं बताऊंगा,
यहाँ जो रहता हूँ,
जाने किसके गोदाम में
फिर न रह पाउँगा!
पर जब गर्मियां...
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