मुक्त

एक शाम
सागर किनारे
सूरज को देख रहा था,
और वह डूब गया.
मैं हड़बड़ा कर खडा हुआ,
फ़िर सूरज दिखा-
पर फ़िर से डूब गया!

रह गया-
खाली आसमान.

टिप्पणियाँ

mehek ने कहा…
bahut sundar

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